First Aid and Health BSc 2nd Semester Notes| प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत B.A., B.Sc. तथा B.Com. 2nd सेमेस्टर में पढ़ाया जाने वाला Co-Curricular Course, अनिवार्य विषय है इसके सभी चैप्टर का लिंक आपको नीचे पोस्ट में मिल जाएगा ।
1- प्राथमिक उपचार (First Aid):
डॉक्टर के पास ले जाने से पूर्व दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को जो सहायता दी जाती है, उसे हम प्राथमिक उपचार कहते हैं । प्राथमिक उपचार को अंग्रेज़ी में ‘First Aid’ कहा जाता है । जिसमे first का अर्थ है प्राथमिक या सर्वप्रथम और Aid का अर्थ होता है सहायता या चिकित्सा ।
दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि- “आकस्मिक रूप से रोगी अथवा घायल हुए व्यक्ति को डॉक्टर अथवा चिकित्सक के पास आने से पूर्व दी जाने वाली सहायता एवं उपचार ही प्राथमिक चिकित्सा है”।
प्राथमिक चिकित्सा निम्नलिखित आपातकालीन स्थिति में दी जा सकती है –
- सड़क दुर्घटना में किसी चीज़ से टकरा जाना
- बिजली का झटका लगना
- दम घुटना (पानी में डूबने ,फाँसी लगाने , साँस नली में कोई बाहरी चीज़ अटक जाने के कारण)
- हृदय गति रुकना
- जल जाना
- रक्तस्राव की अवस्था में
- हीट स्ट्रोक (अत्यधिक गर्मी के कारण पानी की कमी)
- बेहोश होना या कोमा में चले जाना
- मोच, हड्डी टूटना
- किसी जानवर, कीड़े, मकोड़े काटने आदि पर ।
2- प्राथमिक चिकित्सा के उद्देश्य अथवा सिद्धान्त:
6 ′P’ MODEL |
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Preserve life (जीवन की रक्षा करें) |
Prevent the condition worsening (स्थिति को बिगड़ने से रोके) |
Protect the unconscious (मूर्छा को रोक) |
Promoter recovery (हालात में सुधार लाएँ) |
Pain relief (दर्द से राहत) |
Provide safe transportation (सुरक्षित पहुँचाना) |
वहीं INDIAN RED CROSS SOCIETY द्वारा प्रकाशित INDIAN FIRST AID MANUAL – 2016 के अनुसार प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धांत निम्न है-
- जीवन को संरक्षित करना
- स्थिति को बिगड़ने से रोकना
- रिकवरी को बढ़ावा देना
- निकटतम स्वास्थ्य सुविधा के लिए सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करने में मदद करना
3- महत्वपूर्ण बिंदु:
- विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस हर वर्ष सितम्बर माह के दूसरे शनिवार को मनाया जाता है ।
- विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस की शुरुआत INTERNATIONAL FEDERATION OF RED CROSS (IFRC) द्वारा सन् 2000 में की गई थी ।
- 6P के माध्यम से प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धांतों आसानी से समझा जा सकता है ।
- दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को कम से कम हिलाना डुलाना चाहिए क्योंकि इससे रक्तस्राव बढ़ सकता है तथा पीड़ित व्यक्ति की फ्रैक्चर है तो भी सावधानी रखनी चाहिए कि पीड़ित के अंग को कम से कम हिलाया जाये ।
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मई 2015 में इण्डियन गुड से सेमेरिटन और बाई स्टैंडर्ड्स संरक्षण दिशानिर्देश प्रकाशित किए हैं ।
- क़ानूनी संबंध में सेमेरिटन का अर्थ है – कोई ऐसा व्यक्ति जो स्वैच्छिक आधार पर किसी घायल व्यक्ति को आपात स्थिति में सहायता प्रदान करता है।
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